गोविंदपुरा सर्किल के निशातपुरा इलाके में सक्रिय है कब्जाधारी

गिरोह के निशाने पर रहते है खाली प्लॉट और मकान


 ( फिरदोस अंसारी)

भोपाल। राजधानी के निशातपुरा थाना क्षेत्र में आपने मकान या प्लॉट खरीद रखा है तो सतर्क हो जाइए। आपकी थोड़ी सी लापरवाही आपको आपकी लाखो-करोड़ों की संपत्ति से हाथ धोने को मजबूर कर सकती है। इलाके में ऐसे गिरोह सक्रिय है जो सुनसान पड़े प्लॉट या खाली मकान पर अवैध कब्जा कर खुद को उसका मालिक बताने से भी नहीं चूकता।

प्लानिंग और पूरी सेटिंग के बाद किया जाता है कब्जा

इन मामलों में सबसे दिलचस्ब और गंभीर बात यह है कि कब्जाधारियों को यह सटीक जानकारी रहती है कि किस जगह प्लॉट या मकान खाली पड़ा है।  ऐसा प्रतीत होता है मानो उन्हें भीतर से सूचना मिलती हो। पुख्ता जानकारी मिलने के बाद कब्जाधारियों द्वारा पूरी प्लानिंग और सेंटिग के साथ काम शुरू हो जाता है। सूत्रों की माने तो सामने जो कब्जाधारी नजर आते है वो सतरंज के मोहरों के मानिंद होते है, असली खिलाड़ी परदे के पीछे से खेल खेलता है। खास बात यह है कि किसी रसूखदार या दबंग व्यक्ति की संपत्ति वर्षों खाली पड़ी रहती है, जिसपर कब्जाधारी गैंग की नजर नहीं जाती। वहीं आम लोगों या विवाद से दूर रहने वाले व्यक्तियों की संपत्ति पर कब्जा करना इनके लिए बेहद आसान होता है। जिसे यह गैंग इलाके में लगातार अंजाम दे रही है।

विदेश से लौटे युवक के प्लॉट पर कब्जा

 एक उदाहरण से यह मामला आसानी से समझा जा सकता है। विदेश में नौकरी करते हुए अफरोज अंसारी ने वर्ष 2012 में निशातपुरा इलाके के जी-सेक्टर, में प्लॉट नंबर-40 खरीदा था। विगत माह जब वे उस पर निर्माण कार्य कराने पहुँचे तो देखा कि कुछ लोगों ने वहाँ टीन की छत डालकर कुछ हिस्से पर पक्का निर्माण करना शुरू कर दिया था। जब प्लॉट मालिक अफरोज ने कब्जा करने वालों से बात करने की कोशिश की, तो उन्हें सीधे जान से मारने की धमकी दे दी। डरे-सहमे प्लाट मालिक ने थाने में शिकायत करी, लेकिन पुलिस ने मामले को गंभीरता से नही लिया। गोविंदपुरा एसडीएम से लेकर भोपाल कलेक्टर से श्किायत करने वालें प्लॉट मालिक अफरोज अंसारी को कोई राहत नहीं मिली। हालाकि नायाब तहसीलदार ने जांच में प्लाट पर अवैध कब्जा पाया। जांच रिपोर्ट में अवैघ कब्जा होने की पुष्टी होने के बाद भी विभाग द्वारा कोई कार्यवाई नहीं की गई। जिसके चलते प्लॉट मालिक पुलिस थाने से लेकर कलेक्टर कार्यालय के चक्कर कांटने पर मजबूर है।

न्याय की जगह ‘समझौते’ का दबाव

ऐसे दर्जनों मामले गोविंदपुरा सर्किल और निशातपुरा थाने में पहुंच चुके हैं। लेकिन अधिकतर मामलों का हल पैसे के लेनदेन या ‘समझौते’ के जरिये ही निकलता है। सूत्रों की मानें तो कब्जाधारी गिरोह की पकड़ तहसील कार्यालय और पुलिस थानों तक बनी हुई है। इसी का नतीजा है कि असली प्लॉट मालिक या तो थक-हारकर संपत्ति सस्ते में बेच देता है या कब्जाधारी की शर्तों को मानने पर मजबूर हो जाता है।

आमजन के लिए चेतावनी

निशातपुरा क्षेत्र में संपत्ति खरीदने वाले सभी लोगों के लिए यह चेतावनी है कि वे अपनी संपत्ति को लंबे समय तक खाली न छोड़ें और समय-समय पर निगरानी करते रहें। क्योंकि जरा सी चूक भारी पड़ सकती है।

प्रशासन से सवाल

अब सवाल यह उठता है कि जब जांच अधिकारी खुद मानते हैं कि कब्जा अवैध है, तो फिर कार्यवाही में देरी क्यों हो रही है? क्या प्रशासन की चुप्पी और लचर रवैया कब्जाधारियों को बढावा नही दे रहा? 

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