भोपाल। जिले में कलेक्टर के सख्त आदेश के बाद अब डोपहिया वाहनों को बिना पेट्रोल के मंजूरी नहीं दी जा रही है। इस निर्देश का असर शहर के पेट्रोल पंपों पर साफ दिख रहा है। हालाँकि कुछ लोग अब भी पुराने जमाने का नहीं कर रहे हैं और बिना टॉयलेट के ही पेट्रोल पंप तक पहुँच रहे हैं।
लेकिन इस नियम के तहत शहर में एक नया 'जुगाड़ व्यापार' शुरू हो गया है। रियाल मार्केट में स्थित एक पेट्रोल पंप के बाहर एक ठेला लगाने वाली एक महिला ने खास इंतज़ाम कर रखा है - वह ठेले पर तौले हुए हैं, जिसमें वह 10 रुपये किराए पर लेकर अपने सपनों को दे रही है, जो बिना शौक के आ गई है। ग्राहक बेचे जाते हैं बेचने वाले, पेट्रोल भरवाते हैं और फिर वापस कर देते हैं।
पेट्रोल पंप के आसपास कुछ ऑफिस और ठेले वाले भी यही काम कर रहे हैं। वे 10 रुपये में कुछ मिनट के लिए भाड़े पर दे रहे हैं ताकि ग्राहक नियमों का पालन करते हुए पेट्रोल डलवा किराए पर ले सकें।
जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया:
कुछ लोग इसे स्मार्ट जुगाड़ मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे पुराने जमाने का 'औपचारिक खाना' कह रहे हैं। एक बाइक सवार ने कहा, "जैसा कि हेलमेट पहनना जरूरी है, केवल पेट्रोल डलवाने के लिए किराए पर लेना समानक लगता है।"
प्रशासन का रुख:
प्रशासन ने पेट्रोल पंपों को निर्देश दिया है कि बिना किसी भी ग्राहक के पेट्रोल न दिया जाए। हालाँकि अब तक वॉलेट भाड़े पर दिए गए विवरण को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
निष्कर्ष:
भोपाल में रसायन शास्त्र के पालन को लेकर प्रशासन का प्रस्ताव एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसके साथ लोगों की 'जुगाड़ बुद्धि' भी सामने आ रही है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इन 'हेलमेट ऑन रेंट' वालों पर क्या रुख अपनाता है - प्रोत्साहन या कार्रवाई?
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