इस रिपोर्ट ने केंद्र और राज्यों के मंत्रियों में मचा दिया हड़कंप, 302 मिनिस्टर्स की जाएगी कुर्सी?

 


रिपोर्ट में बताया गया हैकि देश के 40 फीसदी मंत्री आपराधिक केस में फंसे हए हैं। चाहे वो मारधाड़ से जुड़ा हो। तमाम तरह के मामले उन पर चल रहे हैं। उसके बाद इस बिल और फिर रिपोर्ट को जोड़कर देखा जा रहा है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या अब आपराधिक मामलों में फंसे देश के 40 फीसदी मंत्री-नेता को उनके पद से हटा दिया जाएगा। क्या उनका इस्तीफा ले लिया जाएगा।


प्रधानमंत्री मोदी और सरकार एक संशोधन बिल लेकर आई है, जिसके तहत संसद में ये बिल बेश किया गया। अगर कोई नेता, मंत्री, प्रधानमंत्री तक 30 दिन से ज्यादा जेल में रहता है तो उसे या तो इस्तीफा देना पड़ेगा या फिर खुद ही अपना पद छोड़कर जाना पड़ेगा। ऐसे में एक रिपोर्ट को लेकर देश के नेताओं में हड़कंप मचा है। इस रिपोर्ट में बताया गया हैकि देश के 40 फीसदी मंत्री आपराधिक केस में फंसे हए हैं। चाहे वो मारधाड़ से जुड़ा हो। तमाम तरह के मामले उन पर चल रहे हैं। उसके बाद इस बिल और फिर रिपोर्ट को जोड़कर देखा जा रहा है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या अब आपराधिक मामलों में फंसे देश के 40 फीसदी मंत्री-नेता को उनके पद से हटा दिया जाएगा। क्या उनका इस्तीफा ले लिया जाएगा। 

एडीआर की रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ है? 

चुनाव सुधार संस्था 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' (एडीआर) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि देश भर के 302 मंत्री (करीब 47%) खुद पर आपराधिक केस होने की बात स्वीकार कर चुके हैं। इनमें 174 मंत्री ऐसे हैं, जिन पर हत्या, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर आरोप हैं। वहीं, केंद्र सरकार के 72 मंत्रियों में से 29 (40%) ने आपराधिक केस होने की बात मानी है। एडीआर ने 27 राज्यों, 3 केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्र सरकार के कुल 643 मंत्रियों के शपथ पत्रों का विश्लेषण किया। एडीआर ने यह भी कहा कि जिन शपथ पत्रों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है, वे 2020 से 2025 के बीच चुनावों के दौरान दाखिल हुए थे। इन मामलों की स्थिति बदल भी सकती है। केंद्र सरकार ने हाल ही में एक प्रस्ताव रखा था, जिसमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को गंभीर आपराधिक मामलों में 30 दिन की गिरफ्तारी के बाद पद से हटाने की बात कही गई थी। इसके कुछ दिन बाद यह रिपोर्ट सामने आई है। 

किस पार्टी के कितने मंत्रियों पर आपराधिक केस

भाजपा के 336 मंत्रियों में से 136 (40%) पर आपराधिक केस हैं। वहीं 88 (26%) पर गंभीर आरोप हैं। कांग्रेस के 61 मंत्रियों में से 45 (74%) पर केस हैं, 18 (30%) पर गंभीर आरोप हैं। डीएमके के 31 में से 27 (87%) मंत्री आरोपी हैं, 14 (45%) पर गंभीर केस हैं। टीएमसी के 40 में से 13 (33%) पर केस हैं, 8 (20%) पर गंभीर आरोप हैं। तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के 23 में से 22 (96%) मंत्री आरोपी हैं, 13 (57%) पर गंभीर केस हैं। आम आदमी पार्टी के 16 में से 11 (69%) मंत्री आरोपी हैं, 5(31%) पर गंभीर आरोप हैं।

दागी नेताओं में कौन सा राज्य टॉप पर 

आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और पुडुचेरी में 60 प्रतिशत से ज्यादा मंत्री आपराधिक मामलों में आरोपी हैं। वहीं, दूसरी ओर हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, नागालैंड और उत्तराखंड के किसी भी मंत्री पर कोई आपराधिक केस दर्ज नहीं है।

मंत्रियों की संपत्ति का विश्लेषण

643 मंत्रियों की कुल संपत्ति 23,929 करोड़ है। औसतन हर मंत्री के पास 37.21 करोड़ रुपए की संपत्ति है। 30 में से 11 विधानसभाओं में अरबपति मंत्री हैं। कर्नाटक में सबसे ज्यादा 8 अरबपति मंत्री हैं, आंध्र प्रदेश में 6 और महाराष्ट्र में 4 हैं। केंद्र सरकार में 72 मंत्रियों में से 6 मंत्री (8%) अरबपति हैं।

पार्टीवार अरबपति मंत्री

भाजपा के 14 मंत्री अरबपति हैं (कुल का 4%)। कांग्रेस के 11 मंत्री अरबपति हैं (कुल का 18%)। टीडीपी के 6 मंत्री अरबपति हैं (कुल का 26%)। आम आदमी पार्टी, जनसेना पार्टी, जेडीएस, एनसीपी और शिवसेना के भी अरबपति मंत्री हैं

देश के सबसे अमीर मंत्री

डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी (टीडीपी, आंध्र प्रदेश) -5,705 करोड़की संपत्ति। डीके शिवकुमार (कांग्रेस, कर्नाटक) -1,413 करोड़। एन. चंद्रबाबू नायडू (टीडीपी, आंध्र प्रदेश) -931 करोड़। अन्य अमीर मंत्रीः नारायण पोंगुरु, नारा लोकेश (आंध्र प्रदेश), गड्डम विवेकानंद, पोंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी (तेलंगाना), सुरेशा बीएस (कर्नाटक), मंगल प्रभात लोढ़ा (महाराष्ट्र), ज्योतिरादित्य सिंधिया (केंद्र)। सबसे कम संपत्तिः शुक्ला चरण नोआतिया (आईपीएफडी, त्रिपुरा) 2 लाख। विर्भाहा हांसदा (टीएमसी, पश्चिम बंगाल)-3 लाख से कुछ अधिक है।