(फ़िरोज़)
भोपाल। ऐशबाग फ्लाईओवर ब्रिज को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट में बुधवार को महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MANIT) के प्रोफेसर द्वारा पेश की गई तकनीकी जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि ब्रिज का मोड़ 90 डिग्री नहीं है, बल्कि 118 से 119 डिग्री के बीच है।
याचिकाकर्ता का पक्ष
याचिकाकर्ता मेसर्स पुनीत चड्ढा की ओर से कहा गया कि फ्लाईओवर का निर्माण कार्य सरकारी एजेंसी द्वारा जारी जीएडी (जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग) के अनुसार किया गया था। इसके बाद वर्ष 2023 और 2024 में जीएडी में संशोधन भी किया गया। कंपनी का आरोप है कि बिना सुनवाई का अवसर दिए सरकार ने उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया।
जांच समिति की रिपोर्ट
90 डिग्री के मोड़ की खबरों के बाद राज्य सरकार ने पांच सदस्यीय जांच समिति बनाई थी। समिति ने पाया कि फ्लाईओवर का मोड़ रेलवे ट्रैक के ऊपर से गुजरने के कारण प्रभावित हुआ और राज्य सरकार तथा रेलवे विभाग के बीच समन्वय की कमी रही। साथ ही, ब्रिज के खंभे भी निर्धारित दूरी पर नहीं लगाए गए।
हाईकोर्ट की कार्यवाही
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने पहले ही प्रोफेसर को तकनीकी जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी और याचिकाकर्ता को इसके लिए एक लाख रुपये फीस जमा करने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता का दावा सही पाया जाता है तो फीस की राशि वह वापस लेने का हकदार होगा।
सरकार को समय, कंपनी पर फिलहाल राहत
सरकार ने अदालत से रिपोर्ट के आधार पर कंपनी के खिलाफ की गई कार्रवाई निरस्त करने के लिए समय मांगा। युगलपीठ ने यह आग्रह स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 17 सितंबर तय की। इस बीच, कंपनी के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी।