भोपाल (रिपोर्ट) भोपाल से महज़ 11 किलोमीटर दूर स्थित इस्लाम नगर (जगदीशपुरा) किला, कभी नवाब दोस्त मोहम्मद खान की शाही राजधानी रहा करता था। 18वीं सदी में अफगान सरदार दोस्त मोहम्मद खान ने इसे अपनी सत्ता का गढ़ बनाया था।
ऐतिहासिक दस्तावेज़ बताते हैं कि यहाँ बने राजमहल, बाग-बगीचे और किलेबंदी तत्कालीन स्थापत्य कला के शानदार नमूने थे।
आज यह किला मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग के अधीन संरक्षित स्मारक है। प्रवेश के लिए पर्यटकों से 20 रुपये का टिकट लिया जाता है। बावजूद इसके किले की मौजूदा हालत उपेक्षा की कहानी कहती है। दीवारों पर जगह-जगह झाड़ियाँ उग आई हैं, मेहराबों और गुंबदों की झिलमिलाहट अब फीकी पड़ चुकी है। कई हिस्सों में प्लास्टर झड़ चुका है और पानी निकासी की व्यवस्था न होने से बरसात के दिनों में ढांचा और भी कमजोर होता जा रहा है।
स्थानीय लोगों और इतिहास प्रेमियों का कहना है कि यहाँ मूल रूप से बने चमन महल और रंग महल की सुंदरता धीरे-धीरे खो रही है। कभी यहां बादशाही दरबार सजते थे, लेकिन अब खामोश दीवारें और जर्जर होती इमारतें ही इसकी गवाही देती हैं।
पर्यटक भी शिकायत करते हैं कि किले में साफ-सफाई और रखरखाव की कमी साफ झलकती है। टिकट वसूलने के बावजूद न तो पर्याप्त गाइड की व्यवस्था है और न ही रोशनी का इंतजाम।
इतिहासकार मानते हैं कि यदि इस्लाम नगर किले की सही देखभाल और संरक्षण किया जाए तो यह न केवल मध्य प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रमुख पर्यटन आकर्षण बन सकता है।
कुल मिलाकर, इस्लाम नगर किला आज भी अपनी शाही विरासत के साथ खड़ा है, लेकिन इसके संरक्षण के लिए गंभीर प्रयास न किए गए तो आने वाली पीढ़ियाँ शायद इसे खंडहर के रूप में ही देख पाएंगी।