भोपाल से करीब 11 किलोमीटर दूर स्थित इस्लाम नगर (जगदीशपुरा) का किला इतिहास और विरासत का प्रतीक माना जाता है। यह किला कभी नवाब दोस्त मोहम्मद खान की राजधानी रहा, लेकिन आज इसकी हालत चिंता जनक है।
किले की देखरेख का जिम्मा पुरातत्व विभाग के पास है। यहां प्रवेश करने के लिए टिकट भी रखा गया है — वयस्कों के लिए 20 रुपये। टिकट वसूली के बावजूद हालात यह हैं कि किले का एक बड़ा हिस्सा लापरवाही और उपेक्षा का शिकार है।
सबसे गंभीर पहलू यह है कि किले के कुछ हिस्सों पर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा बना हुआ है। शराबखोरी, गंदगी और बेपरवाही की वजह से इस ऐतिहासिक धरोहर की गरिमा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सुरक्षा और रखरखाव के नाम पर केवल टिकट वसूला जा रहा है, लेकिन किले में ना तो पर्याप्त गार्ड तैनात हैं, ना ही साफ-सफाई की कोई व्यवस्था।
जनता का सवाल
- जब किले में प्रवेश शुल्क लिया जाता है तो उसकी आय आखिर कहां जा रही है?
- क्या पुरातत्व विभाग का काम सिर्फ टिकट काटना है या धरोहर की सुरक्षा करना भी?
पुरातत्व विभाग की जिम्मेदारी
इस्लाम नगर किला न सिर्फ इतिहास का गवाह है बल्कि पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता भी रखता है। लेकिन यदि प्रशासन और पुरातत्व विभाग ने ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय में यह धरोहर खंडहरों में बदलकर रह जाएगी।