आरोपियों के घरों पर बुलडोज़र: न्याय और सवालों के बीच घिरी कार्रवाई




(विशेष संवाददाता )

भोपाल। कॉलेज छात्राओं से दुष्कर्म और "लव जिहाद" के आरोप में गिरफ्तार साद और साहिल के अवैध मकानों पर शनिवार को जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए मकान गिरा दिए। तीसरे आरोपी फरहान के घर पर फिलहाल कार्रवाई टाल दी गई है। प्रशासन की इस कार्रवाई को लेकर अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं।


बच्चों  की गलती की सजा हमें क्यों?


आरोपी साद की भाभी फरजाना ने कहा, “यह घर हमारे गहने गिरवी रखकर और मेहनत से बनाया था। छोटे-छोटे बच्चे हैं, अब उनके सिर से छत छीन ली गई। साद की गलती की सजा हमें क्यों दी गई? यह घर उसका नहीं, हमारा था।”


साहिल की मां शन्नो ने भी प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाए। उनका कहना है, “हम यहां 20 साल से रह रहे हैं। हमारा टीनशेड का घर तोड़ दिया गया। छोटे बच्चों को साहिल से जोड़कर बेघर कर दिया गया। अगर वह दोषी है तो कानून उसे सजा दे, लेकिन हमें क्यों सज़ा मिल रही है?”


पूरी कॉलोनी वैध है तो सिर्फ दो मकान अवैध कैसे?


कॉलोनी के ही सलीम ने कहा, “हम यहां 30 साल से रह रहे हैं। पूरी कॉलोनी में लाखों-करोड़ों लगाकर मकान बने हैं। तो सिर्फ दो ही घर अवैध कैसे हो गए? अगर यह अवैध हैं तो पूरी कॉलोनी अवैध है। साहिल के बारे में भी कह सकते हैं कि वह यहां आता-जाता था, लेकिन उस पर रेप का आरोप नहीं है।”


प्रशासन का काम अवैध निर्माण पर कार्यवाही

प्रशासन का कहना है कि आरोपीयों  के मकान बिना अनुमति के बने थे, इसलिए कार्रवाई की गई। अधिकारियों के मुताबिक, “अवैध निर्माण पर बुलडोज़र चलाना कानूनन प्रक्रिया का हिस्सा है। आरोपियों का मामला अदालत में है, उसका निर्णय अदालत करेगी। लेकिन अवैध मकान पर कार्रवाई की जाएगी।”



कार्यवाई पर उठते सवाल

यह पूरा मामला न्याय और प्रक्रिया पर बहस खड़ा कर रहा है। एक ओर आरोपियों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं, तो दूसरी ओर उनके परिवार और छोटे बच्चों को बेघर करने से यह सवाल उठ रहा है कि क्या दोषियों की गलती की सजा उनके परिजनों को दी जानी चाहिए।