भोपाल। राजधानी के जागरण लेकसिटी (यूनिवर्सिटी) के नज़दीकी इलाके में गुरुवार की शाम एक छात्र पर बाघ ने हमला कर दिया। छात्र को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। घटनास्थल और आसपास के सीसीटीवी फुटेज व वन विभाग की शुरुआती जांच से पता लगाया जा रहा है कि घटना में शामिल बाघ की उम्र क्या रही होगी।
जानकारी के अनुसार छात्र मोहम्मद बोरा अपने मित्र सूर्यांश सिसोदिया के साथ कैंपस के पास टहल रहा था तभी झाड़ियों से अचानक एक बाघ निकला और उस पर झपट्टा मार दिया। दोस्तों की चीख-पुकार और शोर-गुल से जानवर तुरंत जंगल की ओर भाग गया। घायल छात्र के पैर पर गहरा घाव आया हैं। प्राथमिक इलाज के बाद उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
कौन सा जंगली जानवर — बाघ या शावक ?
सीसीटीवी फुटेज के जाँच के आधार पर घटना में बाघ के ही होने की बात सामने आ रही है । स्थानीय कुछ रिपोर्टों में इसे लगभग एक साल के शावक या टाइग्रेस भी कहा गया है
वन विभाग ने अभी तक फाइनल पुष्टि जारी नहीं की है और घटना की जांच जारी है।
फील्ड-इन्वेस्टिगेशन और पशु की पहचान पर अधिकारी जाँच में जुटे है। फिलहाल आधिकारिक तौर पर कोई पुष्टि नहीं की गई है कि हमलावर जानवर कोनसा था।
वन विभाग का क्या कहना है
स्थानीय वन अधिकारियों ने प्रारम्भिक तौर पर बताया है कि टीम घटनास्थल पर पहुँची है, सीसीटीवी और स्थानीय गवाहों के हवाले से सूचना इकठ्ठा की जा रही है और फिलहाल यह स्पष्ट किया जा रहा है कि हमला किस बाघ (या शावक) ने किया। अधिकारियों ने निवासियों और छात्रों से अपील की है कि वे अकेले बाहर न निकलें और यदि कोई जंगली जानवर दिखे तो तुरंत वन विभाग/पुलिस को सूचित करें। ट्रैप-कैमरा और पेट्रोलिंग तेज कर दी गई है।
छात्र की स्थिति और प्रशासनिक कदम
प्रारम्भिक इलाज के बाद घायल छात्र को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि घाव गंभीर तो थे पर जानलेवा नहीं।
विश्वविद्यालय और स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ाने, सीमा-दीवारों की निगरानी और छात्रों को चेतावनी जारी की है। आसपास के इलाकों में पेट्रोलिंग बढ़ाई गई है ।
क्यों आते हैं बाघ शहर के नज़दीक?
विशेषज्ञों का कहना है कि भोपाल के आसपास के जंगलों (राटापाणी / कालीसोत क्षेत्रों सहित) में बाघों की उपस्थिति और शिकार की वजह से सीमावर्ती इलाकों में जंगली बाघ कभी-कभी मानव-आबादियों और कैंपस के पास आ जाते हैं। ऐसे मामलों में सामुदायिक जागरूकता, शीघ्र सूचनाएं और वन विभाग की त्वरित कार्रवाई जरूरी होती है।