(विशेष संवाददाता)
परासिया / छिंदवाड़ा। परासिया थाना में डॉक्टर प्रवीण सोनी और Sresun Pharmaceutical कंपनी के संचालकों के ख़िलाफ़ बच्चों की मौत से जुड़े Coldrif सिरप विवाद में शनिवार को एफआईआर दर्ज की गई। देर रात पुलिस ने डॉक्टर सोनी को गिरफ्तार कर लिया है।
घटना विवरण
- यह मामला छिंदवाड़ा जिले के परासिया उप क्षेत्र से जुड़ा है, जहां कुछ दिनों से लगातार बच्चों की गुर्दे संबंधी समस्या और मौतों की खबरें आ रही थीं।
- आरोप है कि डॉक्टर सोनी ने निजी क्लिनिक में बच्चों को Coldrif नामक खांसी-सीरप दिया, जिसमें कथित तौर पर विषैला तत्व डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) मिला हुआ था।
- Sresun Pharmaceutical (जिसकी दवाई है Coldrif) के संचालक भी इस एफआईआर में शामिल हैं।
- मामला गंभीर माना जा रहा है क्योंकि DEG एक औद्योगिक रसायन है, और ऐसी दवा का उपयोग स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है।
- राज्य सरकार ने Coldrif सिरप की बिक्री, वितरण और स्टॉक पर तत्काल रोक लगाई है।
फिलहाल एक गिरफ्तारी
- एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने रात में डॉ. प्रवीण सोनी को हिरासत में लिया।
- उन्हें विधिक प्रक्रिया के अंतर्गत आगे की जांच और पूछताछ के लिए थाने लाई गई।
- स्वास्थ्य विभाग और शासन स्तर पर भी शिंकज की जा रही है — मुख्यमंत्री के निर्देश पर डॉक्टर सोनी को तत्काल निलंबित कर दिया गया है और उन्हें जबलपुर स्थानांतरित करने का आदेश हुआ है।
सरकारी और स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया
- मध्य प्रदेश सरकार ने इस सिरप की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है और सभी स्टॉक्स जब्त करने के निर्देश दिए हैं।
- स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
- कल सिन्धु समिति (SIT) व विशेष जांच दल (SIT / राज्य स्तर की जांच टीम) गठन किया गया है, जो इस पूरी घटना की गहनता से जांच करेगी।
- परिवारों को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का निर्णय लिया गया है।
तथ्य और सवाल..
- अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सिरप का contamination (मिश्रण) कहाँ और किस स्तर पर हुआ — निर्माण स्तर पर या वितरण/भंडारण के दौरान।
- न्यायोचित प्रक्रिया के तहत दोष साबित होने तक सभी आरोप केवल प्रारंभिक हैं।
- प्रभावित परिवारों का स्वास्थ्य परीक्षण, दवाई की स्रोत शृंखला (supply chain), लैब-रिपोर्ट्स का मिलान और विशेषज्ञों की टीमों की रिपोर्ट इस मामले का निर्णायक आधार होंगी।
- इस घटना ने पूरे राज्य और देश के स्वास्थ्य नियंत्रण एवं दवा सुरक्षा प्राधिकरणों की नीतियों पर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।