(विशेष संवाददाता)
छिंदवाड़ा/भोपाल। छिंदवाड़ा जिले के ग्रामीण इलाके से आई एक दुखद खबर से स्वास्थ्य प्रशासन व अधिकारियों मे हड़कंप मचा दिया। कम आयु (आमतौर पर 1–5 वर्ष) के कई बच्चों को प्रारंभ में सामान्य जुकाम/बुखार के लक्षण दिखे और उन्हें क्लिनिकों/घरेलू स्तर पर कफ-सिरप दिया गया — इसके कुछ ही दिनों बाद उल्टी, दस्त और मूत्र स्राव रुक जाने जैसे लक्षण विकसित हुए और बच्चे तीव्र किडनी फेलियर के चलते अस्पतालों में भर्ती कराए गए,कई की मौत हो चुकी है और कुछ इलाज के लिए नागपुर-जबलपुर स्थानांतरित किए गए।
घटना को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने इस सिरप की बिक्री पर पूरे मध्यप्रदेश में तत्काल प्रतिबंध लगा दिया है। इतना ही नहीं, सिरप बनाने वाली कंपनी के अन्य प्रोडक्ट्स पर भी बैन लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जानकारी के अनुसार, यह सिरप तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित एक फैक्ट्री में तैयार किया जाता है। घटना सामने आने के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने तमिलनाडु सरकार से जांच रिपोर्ट मांगी थी।
स्थानीय प्रशासन ने रिपोर्ट मिलने के तुरंत बाद संदिग्ध दवाओं के स्टॉक को सील करवा दिया और संबंधित बैचों के सैंपल राज्य व राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं को भेजे। कुछ मीडिया रिपोर्टों में विशेष ब्रांड का नाम Coldrif तथा Nextros DS सामने आया है — यही दवाएँ प्रारम्भिक संदेह के केंद्र में हैं। अधिकारियों ने जनता से तब तक सिरप-इस्तेमाल न करने की सलाह दी है जब तक विस्तृत लैब-रिपोर्ट नहीं आ जाती।
केंद्र सरकार ने मामला गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय, NCDC, NIV और CDSCO समेत कई एजेंसियों को साथ लेकर फील्ड व लैब जांच भेजी। जबकि कुछ संस्थानों/आधिकारिक बयानों में जहरीली-रसायन (डाइएथिलीन ग्लाइकोल/DEG) की मौजूदगी की आशंका जताई गई है, केंद्रीय टीमों के प्रारम्भिक परीक्षणों ने “किसी ज्ञात विषाक्त तत्व” का पता नहीं चलने की भी सूचना दी — इस विरोधाभास ने मामले को और पेचीदा बना दिया है; विशेषज्ञों का कहना है कि ऊतक-बायोप्सी, बैच-टेस्ट और सप्लाई-चेन की फोरेंसिक जांच निर्णायक होगी।
प्रभावित राज्यों की कार्रवाई: तमिलनाडु ने तेज़ी से Coldrif के संदिग्ध बैच पर बिक्री रोक लगा दी और फ़ैक्ट्री सहित वितरण-नेटवर्क की जाँच कर सैंपल लिए; राजस्थान ने भी आपूर्ति करने वाली कंपनी के कई उत्पादों पर रोक/निलंबन और ड्रग कंट्रोलर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की रिपोर्टस आई हैं। कई राज्य दवा विभागों ने स्थानीय स्तर पर स्टॉक फ्रीज़ करवा दिए हैं ताकि आगे के परीक्षण तक दवा बाज़ार से हटाई जा सके।
अधिकारियों ने माता-पिता से अपील की है कि किसी भी तरह का घरेलू नुस्ख़ा या ओटीसी सिरप देना बंद करें और यदि बच्चे में उल्टी, दस्त, लिथरता या मूत्र में कमी जैसी कोई गंभीर समस्या हो तो नज़दीकी बड़े-हॉस्पिटल में तुरंत दिखाएँ। साथ ही दवा खरीदते समय पैकिंग, बैच नंबर और वैधता की पड़ताल करने तथा QR/बारकोड स्कैन कर सत्यापन करने की सलाह दी जा रही है।