(शैख़ फ़िरोज़)
इधर, डायल–112 को “फर्स्ट रेस्पॉन्डर” बनाने के लिए पुलिस जवानों को विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा सीपीआर और बीएलएस प्रशिक्षण दिया जा रहा है। नीमच, गुना, धार और हरदा जिलों में आयोजित प्रशिक्षण के बाद डायल–112 टीमों ने कई आपात स्थितियों में त्वरित कार्रवाई कर घायल लोगों और बच्चों की जान बचाई। सड़क दुर्घटनाओं और आकस्मिक स्थितियों में पुलिस द्वारा समय पर दी गई मदद से सेवा का स्वरूप “जनसेवा से जीवन रक्षा” में बदल रहा है।
मध्यप्रदेश पुलिस की ये दोनों पहल—
-रेलवे यात्रियों की सुरक्षा में सफल अभियान
- डायल–112 को जीवनरक्षक मिशन के रूप में सशक्त बनाने का प्रयास
प्रदेश में सुरक्षा, विश्वास और जनसेवा के नए मानक स्थापित कर रही हैं।
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