जबलपुर हाईकोर्ट के एफआईआर और एसआईटी जांच आदेश पर लगी रोक
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भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद को इंदिरा प्रियदर्शिनी कॉलेज की मान्यता से जुड़े मामले में बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने शुक्रवार को हुई सुनवाई के बाद जबलपुर हाईकोर्ट की डबल बेंच द्वारा दिए गए एफआईआर दर्ज करने और एसआईटी गठित कर 90 दिनों में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश पर स्टे लगा दिया है।
यह मामला भोपाल के कोहेफिजा थाना क्षेत्र के खानगांव स्थित इंदिरा प्रियदर्शिनी कॉलेज से जुड़ा है, जिसकी समिति में विधायक आरिफ मसूद सचिव हैं। कॉलेज की मान्यता को लेकर पूर्व विधायक ध्रुवनारायण सिंह ने आरोप लगाया था कि कॉलेज प्रबंधन ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मान्यता हासिल की है।
इसी शिकायत पर जबलपुर हाईकोर्ट ने 3 दिन में प्रकरण दर्ज कर एसआईटी से 90 दिनों में जांच पूरी करने का आदेश दिया था। इसके बाद कोहेफिजा थाने में विधायक आरिफ मसूद सहित अन्य लोगों पर आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 और 120-बी के तहत मामला दर्ज किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में मसूद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, विवेक तन्खा और वरुण तन्खा ने पक्ष रखा। उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए दलीलें पेश कीं। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा दिए गए एफआईआर और एसआईटी जांच संबंधी आदेश पर रोक लगा दी।
गौरतलब है कि उच्च शिक्षा विभाग की जांच में पहले ही यह माना गया था कि अमन सोसाइटी ने कॉलेज संचालन हेतु फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एनओसी और मान्यता प्राप्त की थी। इसी आधार पर यह विवाद खड़ा हुआ और मामला अदालत तक पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक।
आरिफ मसूद पर फर्जी दस्तावेजों से कॉलेज मान्यता लेने का आरोप।
कोहेफिजा थाने में विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज।
मसूद के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल व विवेक तन्खा ने रखी दलीलें।