जहरीले सिरप से 24 बच्चों की मौत, एसआईटी ने उजागर की ड्रग विभाग की लापरवाही”

 


(विशेष संवाददाता)

 भोपाल/ छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के बहुचर्चित कोल्ड्रिफ कफ सिरप कांड में एसआईटी (Special Investigation Team) की जांच अब निर्णायक दौर में पहुंच चुकी है। इस जहरीले सिरप से अब तक 24 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य का इलाज जारी है। जांच की ताज़ा स्थितिएसआईटी की रिपोर्ट में बड़े खुलासे हुए हैं कि ड्रग विभाग ने फैक्ट्रियों का नियमित निरीक्षण नहीं किया, जिससे जहरीला सिरप बनकर बाजार में पहुंच सका । सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मास्यूटिकल के मालिक गोविंदन रंगनाथन और केमिकल एनालिस्ट के. माहेश्वरी से एसआईटी ने आमने-सामने पूछताछ की। दोनों को कुछ दिन पहले तमिलनाडु से गिरफ्तार किया गया था ।


 पुलिस रिमांड पर रंगनाथन

माहेश्वरी को तीन दिन की पुलिस रिमांड पर पूछताछ के बाद जिला जेल भेज दिया गया है, जबकि रंगनाथन की पुलिस रिमांड 20 अक्तूबर तक बढ़ाई गई है।

 जांच टीम ने चेन्नई और कांचीपुरम में कंपनी के ठिकानों से दस्तावेज, लैब रिपोर्ट और कैमिकल बिल जब्त किए हैं। इनमें पाया गया कि सिरप निर्माण में इस्तेमाल प्रोपाइलीन ग्लाइकोल के बिल गायब थे, जिससे कच्चे माल की आपूर्ति पर शक गहरा गया है। 

जब्ती और फॉरेंसिक रिपोर्टलैब में हुई टेस्टिंग में पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप में 48.6% डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) मौजूद था, जो अत्यंत खतरनाक और घातक केमिकल है। 

DEG के कारण ही बच्चों में किडनी फेल्योर हुआ और मौतें दर्ज की गईं। प्रभावित जिलों में छिंदवाड़ा (17 मौतें), बेतुल (2) और पांढरवाड़ा (1) शामिल है।


प्रशासनिक लापरवाही..

अभी तक की रिपोर्ट  में यह बात सामने आई है कि औषधि विभाग ने कई महीनों से फैक्ट्री का निरीक्षण नहीं किया था, जबकि उत्पादन में उपयोग किए गए सॉल्वेंट्स का ऑडिट भी नहीं किया गया । उच्चाधिकारियों ने माना कि विभागीय उदासीनता ने त्रासदी को जन्म दिया। एसआईटी की अब तक की जांच में यह भी सामने आया है कि रंगनाथन और उनकी टीम ने फैक्ट्री में टेस्टिंग लैब की सुविधाएं ही नहीं रखीं, जिससे सिरप की विषाक्तता की जांच नहीं हो सकी ।


दोनों मुख्य आरोपियों रंगनाथन और माहेश्वरी के खिलाफ ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैरइरादतन हत्या) और धोखाधड़ी संबंधी धाराओं में केस दर्ज है । फिलहाल एसआईटी वित्तीय लेनदेन, कच्चे माल की खरीद और सरकारी स्वीकृतियों की जांच कर रही है।