कोहेफिज़ा बनाम कबूतरख़ाना : सुकून की धरती पर कंक्रीट का कब्ज़ा, अब उठ रही है बड़ी कार्रवाई की मांग

 


                         (पार्ट-1)

 भोपाल का इलाक़ा कोहेफिज़ा कभी शहर की सबसे सुकूनभरी और खुली जगहों में गिना जाता था। खुले आँगन, ठंडी हवाओं और हरियाली से घिरा यह इलाक़ा अब भू-माफ़िया और बिल्डरों की भूख का शिकार बन चुका है। जो इलाक़ा कभी राहत और ताज़गी का अहसास कराता था, वहाँ आज कंक्रीट के जंगल और नियमो को दरकिनार कर मल्टी-स्टोरी इमारतें खड़ी हैं।


 नियमों को ताक पर रखकर हो रहा अवैध निर्माण

कोहेफिज़ा एयरपोर्ट से महज़ कुछ किलोमीटर की दूरी पर है। एयरपोर्ट ज़ोनिंग एक्ट और BDA मास्टर प्लान के बावजूद यहाँ आसमान छूती इमारतें खड़ी कर दी गईं। न पार्किंग की व्यवस्था, न जल निकासी का इंतज़ाम और न ही फायर सेफ़्टी नियमों का पालन। इसके बावजूद विभागीय अधिकारियों का मौन बने रहना सवालों को तो जन्म तो दे  रहा है साथ ही  रहवासियों के गुस्से को और भड़का दिया है।


भू-माफ़िया और बिल्डरों का दबदबा

रहवासियों का आरोप है कि भू-माफ़िया और बिल्डरों की पकड़ इतनी मज़बूत है कि प्रशासन भी कार्रवाई करने से बचता है। मोटी रकम और राजनीतिक संरक्षण की आड़ में नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। हर रोज़ धड़ाधड़ खड़ी हो रही बिल्डिंगें कोहेफिज़ा की पहचान और पर्यावरण दोनों को निगल रही हैं।


सामाजिक संस्थाएँ आईं मैदान में

अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि सामाजिक संस्थाएँ भी इस मामले में खुलकर सामने आ गई हैं।  कई संगठन भू-माफ़िया और बिल्डरों के खिलाफ़ लामबंद हो गए हैं। उन्होंने मानव अधिकार आयोग और विभागीय जांच की माँग उठाई है। संस्थाओं का कहना है कि यह सिर्फ़ अवैध निर्माण का मुद्दा नहीं, बल्कि इंसानी ज़िंदगी और अधिकारों से जुड़ा मामला है।


बड़े एक्शन की तैयारी

रहवासियों और सामाजिक संगठनों के दबाव के चलते यह चर्चा तेज़ हो गई है कि प्रशासन कोहेफिज़ा में अवैध निर्माण पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। इस बार मामला सिर्फ नोटिस तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि कई बिल्डरों और भू-माफ़ियाओं पर सीधा कानूनी शिकंजा कस सकता है।